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Courses

Bundle Course Of Bhavarth Ratnakar

$ 380
QTY

Bundle Course of Bhavarth Ratnakar

You will get all 4 sets of bhavarth ratnakar course recordings.

the topics covers:

1st Set

1) Dhan Yog
2) Nirdhan Yog
3) Vidhya Vichar
4) Bhukti – Antardasha Vichar 
5) Bhatri Yog – Yoga of Siblings  
6) Vahan Yog
7) Speed of palnets and predictions through it
2nd Set-

1) Vahan Yog or Yog for Conveyances
2) Santati Yog or Yog for Children
3) Yoga for Marriages
4) Yogas for Enemies and Diseases 
5) Yogas for Longetivity  
6) Yogas for Bhagya
3rd Set
1. भाग्य योग-  
• उच्च स्थान प्राप्ति योग  
• धन,भाग्य,कीर्ति प्राप्ति योग  
• राहु-केतु जन्य भाग्य योग तथा अपवाद   
2.  राज योग- 
• शुक्र-चन्द्र स्थितिवश योग  
• अष्टमेश-भाग्येश संबन्ध वश अष्टमेश का योगप्रद होना 
• दशमेश एकादशेश के संबन्ध से उत्पन्नयोग 
• षष्ठेश सप्तमेश तथा दशमेश जनित राजयोग  
• रवि गुरुचन्द्रशनिमङ्गल स्थितिवश राजयोग  
• राहु तथा शनि जन्य योग  
• देवलोक की प्राप्ति के योग  
3.  गंगा स्नान योग :  
• गङ्ग़ातुल्य नदी स्नान योग  
• विष्णुकथादि कथा श्रवण योग  
• भाग्यस्थ गुरु-शनि स्थितिजन्य गङ्गा स्नान योग (पितरकर्म निमित्त) 
• कर्मप्राबल्य तथा कर्महीन योग 
4 . मारक योग -  
• व्ययेश धनेश का परस्पर दशाओं मे मारक होना 
• व्ययेश तथा द्वितीयेश के प्रबल मारकत्व योग 
• षष्ठेश का मारक होना 
• अष्टमेश का मारक होना  
• षष्ठेश अष्टमेश किन दशाओं अतः अंतर्दशाओं में मारक होंगे इत्यादि


4th Set
      भावार्थ रत्नाकर कोर्स - भाग 4 
प्राचीन शास्त्रों से ज्योतिष सीखें
अध्य्यन विषयवस्तु:

मारक:
• षष्ठस्थ  पापग्रह की महादशा मे अष्टमस्थ अष्टमेश अन्तरदशा का मारक होना
• अष्टमस्थ पाप ग्रह की महादशा मे षष्ठस्थ पापग्रह की अन्तरदशा का मारक होना
• बुधशुक्र का पञ्चमस्थ होने से परस्पर मारक होना
• मङ्गलका पाप भाव का स्वामी होकर पञ्चमस्थ होने से मारकत्व प्राप्त होना
• शुभभावाधिपति शनि का अन्य मारक से युत होने से प्रबल मारक होना
• अष्टमेश का लग्नस्थ होने पर अपनी दशा मे मारक होना
• दो या तीन पुत्रों की एकसाथ राहु दशाचलन होने पर दशा मध्य मे पिता का मृत्यु को प्राप्त होना
दशा फलित:
• शनि शुक्र की अन्तरदशाओं का एक दूसरे की महादशा मे योगहीन होना
• दशमेश तृतीयेश सम्बन्ध होने पर दशमेश की दशा योगप्रद तथा विक्रमेश की दशा का विशेष योगप्रद होना
• पञ्चम, सप्तम, नवम के अधिपती स्वराशिस्थ होने पर उनकी दशा अन्तरदशाओंमे गङ्गास्नान होना (पितरों के कर्म के लिये)
• मङ्गल की महादशा  मे राहु, केतु,शनि तथा रवि की अन्तरदशाओं मे पिता का निधन संभव
• गुरु-मङ्गल संबन्ध होने पर मङ्गल दशा प्रभावी तो गुरु दशा मध्यम फलप्रद
• गुरु-चन्द्र मे संबन्ध होने पर चन्द्रदशा प्रभावी तो गुरु दशा मध्यम फलदायी होना
राजयोग:
• केन्द्र-कोणस्थ राहु का दशा काल मे राजयोग
• गुरु-बुध-शुक्र संबन्ध से धन -भाग्य तथा कीर्ति योग
• शुक्र का गुरु या बुध से संबन्ध होने पर शुक्रदशा धनप्रद
• गुरुदशा धननाशप्रद-बुध दशा मिश्रफलदा
• रवि का अन्य ग्रहों से युति मे रवि दशा योगप्रद तो अन्य दशायें मध्यम फलप्रद
• दो या ज्यादा ग्रहों का राहु से स्ंबन्ध होने पर प्रबल ग्रह के फल राहु ने स्वयं देना
• राहु-सूर्य तथा शनि तृतीयस्थ होने पर राहु द्वारा भाग्यविक्रम योग
• राहु दशन्तर्दशा मे तृतीयस्थ बुध का जातक को धैर्यहीन  करना
• भावेश तथा भावकारक युति से भाव से दृष्य वस्तु ओं मे बढोत्तरी
• सम तथा विषम राशिस्थ ग्रह के मूलत्रिकोण तथा स्वराशि के फल देने का क्रम
• भाग्यवान योग
• क्षेत्रवान योग
• चतुष्पादवृद्धि योग
• दुःखदायक योग
• ग्रहमालिका योग

Course recordings are available in Hindi language. 

Total 24 sessions of 2 hours each. 

48+ hours recordings

Fee: INR 24,000/380$ USD

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Astro Anuradha has more than 20 years in the field of The Occult. What started out as an interest, developed and progressed as a part of life…

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